प्रिय
भाइयो और बहनो, बहुत दिनो से आप सभी के साथ अपना अनुभव
शेयर करना चाहता था लेकिन आज समय मिल पाया. तब मे लगभग अठारह साल का रहा होगा, घर मे मेरे अलावा मम्मी और पापा थे.
पापा ऑफीस के काम के कारण आम तौर पर बाहर ही रहते, मे अपनी पढाई मे
एक
बार तो मम्मी पापा को बोल भी रही थी की शायद मे मोटी हो रही हूँ. मेरे ब्लाउज के हुक बार-बार टूट जाते हे. एक बार पापा बाहर गये हुये थे, और घर पर मम्मी और मे ही थे. मम्मी
दोपहर मे खाना बना रही थी,
की अचानक प्रेशर कूकर मे से ज़ोर की
आवाज़ हुई और उसमे से दाल का गर्म पानी का फव्वारा प्रेशर के साथ उड़ने लगा, मे दौड़ कर किचन मे गया, तो देखा की मम्मी उस गर्म पानी से भीग
गयी थी, और उन्हे बहुत पीड़ा हो रही थी. मेने
तत्काल उन्हे फ्रीज़ के ठंडे पानी से गीला किया और उन्हे बाथरूम मे शावर मे खड़ा
कर दिया. जल्दी से उन्हे चादर से ढककर मे उन्हे अस्पताल ले गया, जहा लेडी डॉक्टर ने बताया की डरने वाली
बात नही हे, गर्म पानी से जलने के कारण और बदन पर
कपड़े भीगने से उनके बदन पर पानी से भरे फफोले हो गये हे, जो कि कुछ दिनो मे अपने आप ही फूट भी
जाएगे. केवल क्रीम लगानी होगी और कुछ दवाई लेनी होगी. खेर हम घर आ गये मम्मी ने
पापा को बताने से मना किया,
लेकिन मेने उन्हे बता दिया की चिंता की
बात नही हे, फिर भी वे दूसरे दिन सुबह वो बाहर से
अपना काम अधूरा छोड़ घर पहुँच ही गये.
मम्मी
का बदन पीठ जाघो पर, कुल्हो से ज़्यादा जला था शायद वहा
ज़्यादा कपड़े होने से वह हिस्सा ज़्यादा देर गर्म पानी के टच मे रहा होगा. मम्मी
तो कपड़े भी नही पहन पा रही थी इसलिये अस्पताल वालो ने जो एक ओपन गाउन दिया था वही
पहन रखा था. लेकिन जब पानी से भरे फफोले बड़ने लगे, तो उन पर कपड़े से भी जलन होती इसलिये मम्मी एक पुरानी कॉटन की
मच्छरदानी को बेड पर लगा कर बिना कपड़ो के रहती. पापा मम्मी को बदन पर क्रीम लगा
देते. मे और पापा बाहर से खाना पानी दे देते जो की मम्मी अंदर ही खा पी लेती.
लेकिन पापा को वापस भी जाना था, इसलिये उन्होने कहा की कोई नर्स लगा देता हूँ तो मम्मी ने कहा की नही
मे चल फिर सकती हूँ बस कपड़े नही पहन पाने के कारण बेटे के सामने बाहर आने मे शर्म
आती हे, तो पापा बोले की पागल हो गयी हे क्या? वह हमारा बेटा हे और उससे केसी शर्म खाना तो वह होटल से ले आयेगा, रही बात तुम्हे दवा लगाने की तो केवल
पीठ पर ही तो लगानी रह जायेगी. खेर मम्मी राज़ी हो गयी, और पापा अपने काम से वापस बाहर चले
गये.
अगले
दिन सुबह मम्मी खुद ही फ्रेश होकर मच्छरदानी मे बेठी थी, मेने चाय नाश्ता और लंच पैक करा कर होटल से ला कर टेबल पर रख दिया, मम्मी ने वहा से मेरे जाने के बाद खुद
ही खा पी लिया. शाम के समय मम्मी मुझसे बोली की बेटा ज़रा मेरी पीठ पर क्रीम लगा
दो, मम्मी के बदन पर इस समय एक कॉटन की चुन्नी
डाल रखी थी. जिसमे से उनका गोरा,मांसल
बदन देख मे पागल सा हो गया,
उपर से मुझे उसे छूना भी था. खेर मे
अपनी भावनाओ पर काबू कर मम्मी के बदन पर क्रीम लगाने लगा, मम्मी ने अपने मोटे ताजे स्तनो को तो
हाथो और नरम कपड़े से ढक रखा था, लेकिन
उनका आकर मुझे साफ दिखाई पड रहा था, मम्मी
की कमर,चूतड़ जाघो पर भी पानी के फफोले हो रहे
थे, जिस कारण वह ठीक से ना तो बेठ पाती थी
और नही लेट पाती थी. मम्मी मुझसे शर्म के कारण अपने कुल्हो आदि पर क्रीम नही लगवा
रही थी लेकिन मेरे द्वारा कहने पर वह राज़ी हो गयी और धीरे से पेट के बल लेट गयी.
मम्मी
ने कुल्हो पर कपड़ा डाल रखा था, जिसे
मेने आहिस्ता से हटाया और हल्की फुल्की बाते करते हुये माहोल नॉर्मल बनाने की
कोशिश करता रहा, अब मम्मी मेरे सामने पूरी तरह नंगी थी, मम्मी की जाघो के जोड़ो के बीच भी
फफोला हो रहा था, लेकिन मम्मी अपनी टाँगे ज़रा भी चोड़ी
नही कर रही थी जिसके कारण मुझे अपनी जन्मस्थली नही दिखाई पड रही थी, मेने बड़े आहिस्ता से बातो ही बातो मे
मम्मी के दोनो पेर चोड़े कर दिये जिससे मुझे मम्मी की हल्के रेश्मि रुये दार चूत
साफ दिखाई पड़ने लगी, मेरा लंड अब समा नही रहा था, लेकिन मेने अपनी सभ्यता और सेवा भावना
का परिचय देते हुये बिना ग़लती किये क्रीम लगाई. रात मे एक बार फिर से मेने मम्मी
को दवा लगाई, इस बार मम्मी कुछ और खुल कर मेरे सामने पेश आई
और मुझसे अपने कंधो पर भी क्रीम लगवाने को तैयार हो गयी, जिस कारण मुझे उनके स्तनो का खूबसूरत
नज़ारा देखने को मिल ही गया, मम्मी ने तो अपने स्तनो को छुपाने की काफी कोशिश की लेकिन मुझे मम्मी
के निपल देखने का सोभाग्य मिल ही गया.
अगले
दिन दोपहर तक मम्मी के काफ़ी सारे फफोले साफ हो गये, लेकिन नई स्किन आने तक उन्हे कपड़े
पहनने मे तकलीफ़ हो रही थी, लेकिन मम्मी बेड पर बेठे-बेठे भी बोर हो गयी तो उन्होने मेरे मना
करने के बावजूद घर का काम काज संभाल लिया, पापा भी दिन मे तीन चार बार फोन पर हाल
चाल पूछ ही लेते थे, उनका टूर सात दिन और आगे बढ़ गया. मम्मी गाउन पहनकर घर मे घूमना चाहती थी
लेकिन घाव मे जलन होने के कारण यह संभव नही था, इस लिये मेने कहा की मे पूरा फ्लेट बंद
कर देता हू, ताकि
कोई देख ना पाये, और आप चाहो तो बिना कपड़ो के घर मे घूम पाओ, आप चाहे तो मे भी अपने रूम को बंद कर लेता
हूँ. तो मम्मी बोली की पागल ऐसी बात नही हे, अब तुझसे केसी शर्म और मम्मी ने मुझे ढेर
सारे आशीर्वाद दिये और बोला की हमने शायद बहुत पुण्य कर्म किये होगे जो इस जीवन मे
तेरे समान बेटा मिला.
अब
मम्मी पूरी तरह से नंगी होकर घर मे मेरे सामने घूमती, मम्मी के भारी-भारी स्तन इतनी उम्र मे
भी ज़रा भी नही लटके थे और एकदम टाइट रहते थे. मे अभी भी मम्मी के पूरे बदन पर दिन
मे तीन चार बार क्रीम लगा रहा था, मेने एक बात नोट की अब मम्मी मुझमे ज़्यादा दिलचस्पी ले रही थी, एक बात और यह थी की मम्मी अब पहले की
तुलना मे अपना बदन मुझे ज़्यादा दिखा रही थी, एक दो बार तो अपनी जाघो को पूरा मेरे
सामने खोल कर अपनी गुलाबी मांसल चूत का जो नज़ारा मुझे कराया, वो तो शायद पापा ने भी नही किया होगा, मम्मी खुद आगे होकर मुझसे अपनी जाघो कुल्हो, और स्तनो तक पर क्रीम लगवा रही थी. जब
मे रात मे मम्मी को क्रीम लगा रहा था तो मम्मी बोली की आज रात यही मेरे पास सो जा
रात मे अकेली बोर हो जाती हूँ. तो मेने कहा की मम्मी मेरी नींद मे हाथ पेर चलाने
की आदत हे और कही आप को लग गया तो तकलीफ़ होगी, तो मम्मी बोली की कोई बात नही, अब इतनी तकलीफ़ नही हे.
सोते
समय मम्मी की चूत के पास का जो छोटा सा फफोला था वह फट गया, तो मेने उसका पानी कॉटन से पोछ कर दवा
लगानी चाही तो मम्मी बोली की इसकी ऊपरी स्किन पकड़ कर धीरे से खीच दे, ऐसा करने के लिये मुझे मम्मी की चूत पर
कई बार हाथ फेरने का मोका मिला, और कई बार तो मेने उसे जी भरकर दबाया. इस समय मम्मी अपनी आँखें बंद
करके हल्की सी कराह रही थी. फिर हम दोनो सो गये, लेकिन मे तो अपने पास मे नंगी लेडी की
बारे मे सोच कर ही पागल हुआ जा रहा था, की मेरी नींद लग गई. रात मे अपनी आदत
के अनुरूप मेने गहरी नींद मे अपने हाथ पेर चलाना शुरू किये होगे, तो मम्मी बोली की बेटा ये तेरे बदन का
बरमूडा मुझे चुभ रहा हे, ऐसा कर इसे खोल दे, मेने तत्काल अपना बरमूडा और साथ ही टी-शर्ट भी खोल दिया.
अब
मेरे बदन पर केवल वी-शेप चड्डी रह गयी, जिसमे से मेरा उत्तेजित लंड भयानक लग
रहा था, और
मम्मी की निगाहे उस पर से हटने का नाम ही नही ले रही थी, रात मे लगभग चार बजे जब मे बाथरूम के
लिये उठा तो, मेने
नाइट लेम्प की रोशनी मे देखा की मम्मी अपनी दोनो टाँगे चोड़ी किये सो रही थी, जिस कारण उनकी खुली और रोटी के समान
फूली चूत मुझे सीधा निमंत्रण दे रही थी, अब यह सब मेरी बर्दाशत के बाहर था, इसलिये मे धीरे से मम्मी से चिपक कर सो
गया, और
अपना मुहँ मम्मी के मांसल स्तनो के बीच घुसा दिया, कुछ हरकत ना होती देख मेने अपनी
उंगलियो को धीरे-धीरे मम्मी की चूत पर फेरने लगा, और अपनी एक उंगली धीरे से फूली हुई चूत
मे घुसा दी, चूत
के अंदर का हिस्सा ग़ज़ब का नरम और गर्म था, यह मेरे जीवन का पहला अनुभव था, मे हल्के-हल्के अपनी उंगलिया चलाने लगा, मेने अनुभव किया की मम्मी के निपल कड़क
होकर तन चुके थे, मेने तुरन्त अपनी उंगलिया चूत मे से निकाल ली, और आहिस्ता से पीछे हटने लगा, तभी मम्मी ने मुझे अपनी बाहो मे जकड़ते
हुये धीरे से कहा की रुकना मत, अब और ना तरसा. मे पहले तो थोड़ा हिचकिचाया, फिर हिम्मत कर मम्मी के नंगे जिस्म से
चिपक गया.
मे इस बात का ध्यान रख रहा था की कही
मे मम्मी के जले हिस्से से ना छू जाऊ, तभी मम्मी ने अपने मांसल स्तनो को मेरे
मुहँ मे दे दिया, जिनको मे चूसते हुये दबा भी रहा था, तभी मम्मी ने मेरे उत्तेजित लंड को
पकड़ कर उसे दबाया और मेरा अंडरवेयर नीचे खीच दिया, मम्मी ने अपनी चूत को मेरे लंड से
रगड़ते हुये उसे अपनी चूत के रस से भिगो सा दिया. मेने भी जोश मे आकर मम्मी की चूत
को मुहँ मे लेकर उसे जी भर कर चूसा और अपनी जीभ को चूत मे घुसा-घुसा कर उसका पूरा
रस चूस गया, यह
सब मे एक ब्लू फिल्म मे पहले देख चुका था इसलिये मेरे मन की यह इच्छा थी की जब भी मोका मिलेगा, चूत का सारा रस अपने मुहँ से पीऊगां.
मम्मी अपने बदन को लगभग खीचते और चीखते हुये कह रही थी की डाल दे, घुसा दे अब मत तडपा.
मेने
अपना लंड मम्मी की चूत मे सावधानी से घुसा दिया, यह मेरे जीवन का पहला अनुभव था लेकिन
मम्मी तो इस सब की पक्की खिलाड़ी थी, इसलिये मम्मी की तरफ से मुझे अच्छा सहयोग
मिला, अब
मे बिना रुके आहिस्ता- आहिस्ता मम्मी के जख़्मो को बचाते हुये चुदाई किये जा रहा
था, मम्मी
भी अब काफ़ी खुल कर पेश आ रही थी, लगभग बीस मिनिट के बाद मे झड़ गया, इस बीच मम्मी दो बार मज़े मार चुकी थी, और कहने लगी की तेरे पापा भी बिल्कुल इसी
अंदाज़ मे प्यार करते थे, लेकिन अब उम्र और बिज़नस के काम के कारण पहले जेसा मज़ा नही रहा. मुझे
तो हफ्ते मे तीन चार बार सेक्स की आदत हे, लेकिन पापा के बाहर जाने के कारण हम
पूरे महीने मे मुश्किल से दो या तीन बार मिल पाते हे. खेर अगली सुबह मम्मी और मे
साथ मे ही बाथरूम मे नाहये, मेने सावधानी से मम्मी के सभी जले हिस्सो को धोया तो देखा की अब वो
लगभग सुख चुके थे, और उन पर नयी स्किन भी आने लगी थी. मम्मी तो कपड़े पहनना चाहती थी.
लेकिन मेरे कहने पर वह नंगी रहने को राज़ी हो गयी.
मे
अपनी भावनाओ पर काबू नही रख पाता था इसलिये बार-बार मम्मी की मांसल और सफेद बदन से
चिपक जाता, जब
भी मम्मी किसी काम से झुकती मे उनके पीछे से उनकी फूली चूत मे उंगली या जीभ डाल
देता. जब तक पापा लोटे मे दिन मे दो से तीन बार सेक्स करता रहता. यह सब अब हमारा
रुटीन हो गया था, मम्मी को भी कुछ ज़्यादा ही सेक्स चड जाता था, कई बार तो वह ही नींद मे मेरे मुहँ मे
अपने स्तन दे देती या अपनी गर्म कचोरी के समान चूत घुसा देती. जिसे चाट-चाट कर मे
पूरी लाल कर देता और मम्मी को संतुष्टि देता. तो दोस्तों आप को मेरी यह कहानी केसी
लगी मुझको जरुर बताये.